एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 30 April 2013
मेरे जिस्म मे तेरी रूह सांस लेती है
मेरे बदन मैं तेरी रूह सांस लेती है
वगरना मैं भी फना कब का हो गया होता
____________मुकेश इलाहबादी
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