शोर की ज़द मे सारा जहाँ है
खामोशियाँ तो सिर्फ मेरे यहाँ है
फक्त बेचैनियाँ पढ़ लो चेहरे पे,
मुस्कुराहटें अब दिखती कहाँ है
सिर्फ बेगुल बे समर बाग़ देखिये
अब वो मौसमे वो बहार कहाँ है
रहते थे रातदिन जिसकी बज़्म में
आज मै यहाँ औ वो शख्श वहाँ है
मुस्कुराहटों से कुछ और न समझ
हज़ार दर्द मुकेश के दिल मे निहां है
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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