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Tuesday, 9 April 2013

शोर की ज़द मे सारा जहाँ है


शोर  की  ज़द  मे  सारा  जहाँ  है
खामोशियाँ तो सिर्फ मेरे यहाँ है

फक्त  बेचैनियाँ पढ़ लो चेहरे पे,
मुस्कुराहटें  अब दिखती कहाँ है

सिर्फ बेगुल बे समर बाग़ देखिये
अब वो मौसमे वो बहार कहाँ है

रहते थे रातदिन जिसकी बज़्म में
आज मै यहाँ औ वो शख्श वहाँ है

मुस्कुराहटों से कुछ और न समझ
हज़ार  दर्द मुकेश के दिल मे निहां है


मुकेश  इलाहाबादी -------------------

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