सच की कसौटी पे कसा कीजिये
फिर दूसरों को झूठा कहा कीजिये
अपने गिरहबान मे झांक लीजिये
तब जमाने पे दोष मढ़ा कीजिये
बेहतर है देने से दूसरों की मिसाल
दूसरों के लिये मिसाल बना कीजिये
आईने मे अपना चेहरा तो देखिये
फिर चाँद का मुह टेढा कहा कीजिये
सिर्फ अपनी ग़ज़ल सुनाते हो मुकेश
दूसरों की भी ग़ज़ल सूना कीजिये ...
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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