Pages

Sunday, 7 April 2013

अब तो तू आ और खुद सहेज के रख जा !


अब तो तू आ और खुद समेट  के रख जा !
थक गया हूँ तेरी यादों को सहेजते सहेजते
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------


No comments:

Post a Comment