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Thursday 25 July 2013

अपनी हाथ की लकीरों मे हमे ढूंढते हैं





!!अपनी हाथ की लकीरों मे हमे ढूंढते हैं,,!!
!!उन्हे क्या पता हम उनकी रुह मे बसे हैं!!
मुकेश  इलाहाबादी..........................

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