एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 16 October 2013
ये तो तेरी बेरुखी है जो ज़मी और चाँद सी दूरी है
ये तो तेरी बेरुखी है जो ज़मी और चाँद सी दूरी है
वर्ना अबतक तेरे हाथो मे हिना सा रचे बसे होते
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------
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