एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Thursday, 24 October 2013
यूँ तो कोई वज़ह न थी नाराज़ होने की,ये
यूँ तो कोई वज़ह न थी नाराज़ होने की,ये
उनकी ख्वाहिश थी हम उन्हें मनाने आयें
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
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