लफ़्ज़ों को धारदार कर लूं
कलम को तलवार कर लूं
चुनौतियों से घबराकर क्यूँ
दामन को दागदार कर लूं ?
सोच के दरीचों को खोलकर
अपना दर हवादार कर लूं
दिल मैला है तो क्या हुआ ?
पैरहन तो कलफदार कर लूं
मुकेश इलाहाबादी --------------
कलम को तलवार कर लूं
चुनौतियों से घबराकर क्यूँ
दामन को दागदार कर लूं ?
सोच के दरीचों को खोलकर
अपना दर हवादार कर लूं
दिल मैला है तो क्या हुआ ?
पैरहन तो कलफदार कर लूं
मुकेश इलाहाबादी --------------
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