एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Thursday, 22 May 2014
कब्र पे अपनी खुद फ़ातिहा पढ़ आये
कब्र पे अपनी खुद फ़ातिहा पढ़ आये
बाद मरने के मेरे कोई आये न आये
पैगामे आख़िरी रुखसती कहला दिया
मेरी बला से अब चाहे आएं या न आएं
हमने तो दे दिया जाँ मुहब्बत के नाम
मातमपुर्शी को भी कोई आये न आये
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment