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Wednesday, 7 May 2014

ज़िंदगी को लतीफे सा सुनाया जाये

ज़िंदगी को लतीफे सा सुनाया जाये
चलो सारा ग़म हंसी मे उड़ाया जाये

जला कर राख कर देगी सारा चमन
ये आग है नफरत की बुझाया जाये

ये इल्म और मुहब्बत की दौलत है
इज़ाफ़ा ही होगा जितना लुटाया जाये

ज़िंदगी मशरूफ़ियत का नाम है प्यारे
पल दो  पल तो हंसा गुनगुनाया जाये

मुकेश इलाहाबादी ---------------------

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