ज़िंदगी को लतीफे सा सुनाया जाये
चलो सारा ग़म हंसी मे उड़ाया जाये
जला कर राख कर देगी सारा चमन
ये आग है नफरत की बुझाया जाये
ये इल्म और मुहब्बत की दौलत है
इज़ाफ़ा ही होगा जितना लुटाया जाये
ज़िंदगी मशरूफ़ियत का नाम है प्यारे
पल दो पल तो हंसा गुनगुनाया जाये
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
चलो सारा ग़म हंसी मे उड़ाया जाये
जला कर राख कर देगी सारा चमन
ये आग है नफरत की बुझाया जाये
ये इल्म और मुहब्बत की दौलत है
इज़ाफ़ा ही होगा जितना लुटाया जाये
ज़िंदगी मशरूफ़ियत का नाम है प्यारे
पल दो पल तो हंसा गुनगुनाया जाये
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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