Pages

Saturday 10 May 2014

ठाकुर जी से मांगे घरभर कि ख़ुशहाली अम्मां


ठाकुर जी से मांगे घरभर कि ख़ुशहाली अम्मां
नाती पोता की किलकारी से खुश रहतीं अम्मा

जबतक हम घर नलौटें घड़ी देखती रहतीं अम्मां
बदले में अपनी खातिर हैं कुछ न कहतीं अम्मा

घरभर खाये मालपुआ अम्मा खायें केवल दलिया 
बात -२ पे बहूकी झिडकी सुन चुप रह जातीं अम्मां

बिजली का बिल पानी का बिल सब हैं भरती अम्माँ
गर बाबू की पेंशन न होती तो फ़िर क्या करतीं अम्मां

जब घर वाले मेला देखें चौकीदारी करतीं रहतीं अम्मां
बाबूजी जी के जाने के बाद हुई कितनी अकेली अम्मा

मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------

No comments:

Post a Comment