रघुवा तू अपना सूना
दुःख का आल्हा सुना
झोपड़पट्टी , फुटपाथ
ईंट और गारा सुना
गिरवी रक्खा खेत
घर, बूढ़ी माँ सुना
रात, रोटी -आचार,,
दिन में फांका सुना
नेता को झंडा मिला
तुझे मिला डंडा सुना
खैनी, बीड़ी औ सुर्ती
तू अपना बिरहा सुना
मुकेश इलाहाबादी ---
दुःख का आल्हा सुना
झोपड़पट्टी , फुटपाथ
ईंट और गारा सुना
गिरवी रक्खा खेत
घर, बूढ़ी माँ सुना
रात, रोटी -आचार,,
दिन में फांका सुना
नेता को झंडा मिला
तुझे मिला डंडा सुना
खैनी, बीड़ी औ सुर्ती
तू अपना बिरहा सुना
मुकेश इलाहाबादी ---
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