ऐतबार कर के देखा होता
फिर मुझे झूठा कहा होता
फैसला लेने के पहले मेरी
बेगुनाही सुन लिया होता
बेशक रास्ता बदल लेते
मुझे तो बता दिया होता
अग़र कोई शिकायत थी
मुझको तो बताया होता
ग़ज़ल में अपनी कहीं तो
मेरा भी ज़िक्र किया होता
मुकेश इलाहाबादी ------------
फिर मुझे झूठा कहा होता
फैसला लेने के पहले मेरी
बेगुनाही सुन लिया होता
बेशक रास्ता बदल लेते
मुझे तो बता दिया होता
अग़र कोई शिकायत थी
मुझको तो बताया होता
ग़ज़ल में अपनी कहीं तो
मेरा भी ज़िक्र किया होता
मुकेश इलाहाबादी ------------
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