तुम्हारी बोलती सी आखें अच्छी लगी
ये महकती चहकती बातें अच्छी लगी
यूँ गुमसुम बैठे कर झील के पानी में
पत्थर फेंकने की अदाएँ अच्छी लगी
जिस्म से लेकर रूह तक महक जाए
धुप सी सुवासित साँसे अच्छी लगी
जी चाहे है, क़त्ल हो जाऊं तेरे हाथों
तेरी खंज़र सी निगाहें अच्छी लगी
इस बे मुरव्वत ज़माने में मुकेश,
मुहब्बत और वफ़ाएँ अच्छी लगी
मुकेश इलाहबादी ---------------
ये महकती चहकती बातें अच्छी लगी
यूँ गुमसुम बैठे कर झील के पानी में
पत्थर फेंकने की अदाएँ अच्छी लगी
जिस्म से लेकर रूह तक महक जाए
धुप सी सुवासित साँसे अच्छी लगी
जी चाहे है, क़त्ल हो जाऊं तेरे हाथों
तेरी खंज़र सी निगाहें अच्छी लगी
इस बे मुरव्वत ज़माने में मुकेश,
मुहब्बत और वफ़ाएँ अच्छी लगी
मुकेश इलाहबादी ---------------
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