एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 2 June 2014
हमने तो फ़क़त चंद लम्हे मांगे थे ज़िंदगी के
हमने तो फ़क़त चंद लम्हे मांगे थे ज़िंदगी के
ज़ालिम ने कातिलाना हंसी उछाल दी मेरी तरफ
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------------
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