ज़मी के पार जाया जाये
समंदर पे पुल बनाया जाये
दुनिया जला कर रख दिया
सूरज का बदल ढूँढा जाये
दुनिया इतनी खुदगर्ज़ क्यूँ
एकबार ख़ुदा से पूछा जाये
सुना है वह फूल था कभी
चलो खुशबू में ढूँढा जाये
किसी की आहात है शायद
मुकेश दरवाज़ा खोला जाये
मुकेश इलाहाबादी ----------
समंदर पे पुल बनाया जाये
दुनिया जला कर रख दिया
सूरज का बदल ढूँढा जाये
दुनिया इतनी खुदगर्ज़ क्यूँ
एकबार ख़ुदा से पूछा जाये
सुना है वह फूल था कभी
चलो खुशबू में ढूँढा जाये
किसी की आहात है शायद
मुकेश दरवाज़ा खोला जाये
मुकेश इलाहाबादी ----------
No comments:
Post a Comment