Pages

Monday 2 June 2014

ज़मी के पार जाया जाये

ज़मी के पार जाया जाये
समंदर पे पुल बनाया जाये

दुनिया जला कर रख दिया
सूरज का बदल ढूँढा जाये

दुनिया इतनी खुदगर्ज़ क्यूँ
एकबार ख़ुदा से पूछा जाये

सुना है वह फूल था कभी
चलो खुशबू में ढूँढा जाये

किसी की आहात है शायद
मुकेश दरवाज़ा खोला जाये

मुकेश इलाहाबादी ----------

No comments:

Post a Comment