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Monday 14 July 2014

दिन नया खबर पुरानी है

दिन नया खबर पुरानी है
वही लूट घसोट रहजनी है

तूफान मे शज़र गिर गये
दूब अपनी जगह तनी है

देखो धन दौलत के वास्ते
भाई - भाई मे ही ठनी है

सांझ की उतरती हुई धूप
बरामदे मे लेटी अन्मनी है

मुकेश झूठ और फरेब में
उंगलियाँ सब की सनी है

मुकेश इलाहाबादी --------

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