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Tuesday 5 August 2014

सिर्फ दुआ सलाम का राब्ता रक्खा

सिर्फ दुआ सलाम का राब्ता रक्खा
रिश्तों में हमेशा इक फासला रक्खा

तमाम बेरुखी सहने के बावजूद भी
चारग उम्मीद का हमने जला रक्खा

ऐसा नहीं ख़ल्वत में मुलाकात न हुई
दरम्यान अपने हया का परदा रक्खा

पहलू में अपने समंदर लिए फिरते थे
फिर भी हमें उम्र - भर पप्यासा रक्खा

गर आज मुलाक़ाात हो गयी मुकेश तो
दूसरी मुलाक़ात में इक वक्फ़ा रक्खा

मुकेश इलाहाबादी ------------------------

ख़ल्वत - एकांत / राब्ता - सम्बन्ध / वक़्फ़ा - अंतराल

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