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Sunday 21 September 2014

आग सा दिन बर्फ सी रात है

आग सा दिन बर्फ सी रात है
बाकी तो ग़म की बरसात है
आये हो तो कुछ देर बैठो भी
अरसे बाद की मुलाक़ात है
मै तनहा सूरज तुम,चाँद हो 
साथ में सितारों की बरात है
कुछ तुम कहो कुछ हम कहें
करना चाहो तो बहुत बात है
वक़्त के साथ तुम बदल गए
तुममे अब कंहाँ वो बात है ?

मुकेश इलाहाबादी -----------

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