Pages

Monday 22 September 2014

लगा के मलमल का परदा सोचतें हैं वो

लगा के मलमल का परदा सोचतें हैं वो
रोक लेंगे चाँदनी को ज़माने की नज़र से
ख़ुद को चिलमन में छुपा के सोचते हैं वो
खुशबू ऐबदन  छुपा लेंगे ज़माने की नज़र से  
मुकेश इलाहाबादी -------------------------

No comments:

Post a Comment