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Monday 10 November 2014

यादों की जुगनू चमकते रहे

रात भर मै यूँ ही बहता रहा
खाब की नदी में तैरता रहा

यादों की जुगनू चमकते रहे
देर तक उन्हें ही तकता रहा

चाँद,सितारें,आसमाँ चुप थे
पपीहा देर तक बोलता रहा

अँधेरे में उँकड़ू बैठ कर मै
तेरे बारे में ही सोचता रहा

कोई नहीं था बोलने वाला
अपनी ही साँसे सुनता रहा

मुकेश इलाहाबादी -------

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