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Monday 22 December 2014

कहीं जाऊं तो रास्ता कोई रोके तो

कहीं जाऊं तो रास्ता कोई रोके तो
घर से निकलूं और कोई टोंके तो

चुपचाप बैठै रहने का मन हो मेरा
कोई मुझको छेड - छेड के बोले तो

जब मै हंसू तो मेरे संग-संग हंसे   
मै  रोऊँ तो मेरे साथ कोई रोये तो

पाकर फूलों की सेज भी खुश रहे
वर्ना साथ मेरे जमीन पर सोये तो

गर पल भर  को भी बिछड जाऊं  
मेरे बारे मे ही हर लमहा सोंचे तो

मुकेश सफरे हयात हो तो ऐसा हो
एक रोये तो दूसरा ऑसूं पोंछे तो

मुकेश इलाहाबादी ................

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