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Wednesday 25 March 2015

तुम्हारे मौन से उपजे


तुम्हारे
मौन से उपजे
उत्तप्त उच्छवास से
पिघल जाता हूँ मै
रिस रिस कर
 
और,बहती है एक नदी
 

दूर तक ,,,,
 

सूख जाने के लिए
अभिशप्त 


अपने ही रेगिस्तान में

मुकेश इलाहाबादी -------------

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