चहकते हुए आते हो
महकते हुए जाते हो
दिल सारंगी हो जाए
जब जब मुस्काते हो
इन मस्त अदाओं से
कितना तड़पाते हो
वस्ल में सावन, और
विरह में जलाते हो
परी सी लागे हो तुम
जब आखें झपकाते हो
मुकेश इलाहाबादी ---
महकते हुए जाते हो
दिल सारंगी हो जाए
जब जब मुस्काते हो
इन मस्त अदाओं से
कितना तड़पाते हो
वस्ल में सावन, और
विरह में जलाते हो
परी सी लागे हो तुम
जब आखें झपकाते हो
मुकेश इलाहाबादी ---
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