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Friday, 19 June 2015

हिज़्र, जीने नही देता

हिज़्र, जीने नही देता
ईश्क मरने नहीं देता

शर्म ओ हया हमको
कुछ कहने नही देता 

ज़ोर ऐ तूफ़ान है,कि 
हमे  बहने नहीं  देता

पर लेकर बैठा हूँ पर
सूरज उड़ने नही देता

शोरो - गुल इस क़दर 
कुछ सुनने नहीं देता

मुकेश इलाहाबादी ---

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