हिज़्र, जीने नही देता
ईश्क मरने नहीं देता
शर्म ओ हया हमको
कुछ कहने नही देता
ज़ोर ऐ तूफ़ान है,कि
हमे बहने नहीं देता
पर लेकर बैठा हूँ पर
सूरज उड़ने नही देता
शोरो - गुल इस क़दर
कुछ सुनने नहीं देता
मुकेश इलाहाबादी ---
ईश्क मरने नहीं देता
शर्म ओ हया हमको
कुछ कहने नही देता
ज़ोर ऐ तूफ़ान है,कि
हमे बहने नहीं देता
पर लेकर बैठा हूँ पर
सूरज उड़ने नही देता
शोरो - गुल इस क़दर
कुछ सुनने नहीं देता
मुकेश इलाहाबादी ---
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