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Friday, 31 July 2015

कभी हमारे घर भी तुम आया करो हमसे भी,

कभी हमारे घर भी तुम आया करो हमसे भी, दो चार बातें किया करो हर बार हम ही आवाज़ देते हैं,कभी तुम बिन बुलाए भी आ जाया करो ज़िदंगी मेरी कट रही है सराबों में कभी बादल बन बरस जाया करो ये दिल ऐ गुलशन उजड़ा उजड़ा है कभी तो मोगरे सा खिल जाया करो मुकेश इलाहाबादी --------------

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