Pages

Thursday 29 October 2015

खुश्क होठो पे मेरे, आब रख दे


खुश्क होठो पे मेरे, आब रख दे
कुछ और नहीं तो प्यास रख दे
मुद्दतों हुई ये शख्श सोया नहीं
आ पलकों पे मेरे ख्वाब रख दे
सुराही का खम है तेरी अदा में
मेरे लिए भी थोड़ी शराब रख दे
मेरे ख़त का जवाब दे रहे हो तो
अपने सुर्ख होठों की छाप रख दे
आज से मै तुझको सोणी कहूँगा
तू भी नाम मेरा महिवाल रख दे

मुकेश इलाहाबादी ------------

No comments:

Post a Comment