भुलाने की
तमाम कोशिशों के बावजूद
लौट आती हैं
तुम्हारी यादें
मुझ तक
हज़ारों हज़ार तरीके से
शायद मै
तब्दील हो चूका हूँ
एक गहरे अंधे कुँए
या फिर
एक सूनसान घाटी में
तुम्हारे जाने के बाद
मुकेश इलाहाबादी ---------
तमाम कोशिशों के बावजूद
लौट आती हैं
तुम्हारी यादें
मुझ तक
हज़ारों हज़ार तरीके से
शायद मै
तब्दील हो चूका हूँ
एक गहरे अंधे कुँए
या फिर
एक सूनसान घाटी में
तुम्हारे जाने के बाद
मुकेश इलाहाबादी ---------
No comments:
Post a Comment