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Friday 20 November 2015

तेरे प्यार का ही असर है

तेरे  प्यार का ही असर है 
मुझे नहीं,अपनी खबर है 
तू राहे ज़िंदगी में छाँह थी 
तुझ बिन धूप का सफर है  
अब कोई सुर सधता नहीं   
ज़िदंगी ग़ज़ल बे - बहर है 
किससे पूछू मै पता तेरा 
ये शहर अजनबी शहर है 
थोड़ा संभल - संभल चल 
प्यार इक कठिन डगर है 

मुकेश इलाहाबादी --------

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