तेरे प्यार का ही असर है
मुझे नहीं,अपनी खबर है
तू राहे ज़िंदगी में छाँह थी
तुझ बिन धूप का सफर है
अब कोई सुर सधता नहीं
ज़िदंगी ग़ज़ल बे - बहर है
किससे पूछू मै पता तेरा
ये शहर अजनबी शहर है
थोड़ा संभल - संभल चल
प्यार इक कठिन डगर है
मुकेश इलाहाबादी --------
मुझे नहीं,अपनी खबर है
तू राहे ज़िंदगी में छाँह थी
तुझ बिन धूप का सफर है
अब कोई सुर सधता नहीं
ज़िदंगी ग़ज़ल बे - बहर है
किससे पूछू मै पता तेरा
ये शहर अजनबी शहर है
थोड़ा संभल - संभल चल
प्यार इक कठिन डगर है
मुकेश इलाहाबादी --------
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