एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Saturday, 7 November 2015
जी तो बहुत चाहे है मुकेश, किसी का हो जाऊं
जी तो बहुत चाहे है मुकेश, किसी का हो जाऊं
लफ़्ज़े वफ़ा है, कि किसी और का होने नहीं देता
मुकेश इलाहाबादी -------------
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