Pages

Friday 18 December 2015

बदन पे हमारे खुशबू का लिबास है

बदन पे हमारे खुशबू का लिबास है
सफर में अपना तो फूलों का साथ है

लोगों के हाथ में गीता और कुरआन
मेरे पास तो मुहब्बत की किताब है 

लोग हैं, कि  दरिया लिए फिरते हैं
पास अपने, तेरी आँखों का जाम है

फ़लक, चाँद और सितारे भी ले लो
मुकेश, पास मेरे तो मेरा महताब है


मुकेश इलाहाबादी --------------------

No comments:

Post a Comment