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Tuesday 1 December 2015

आ पलकों पे सजा लूँ तुझे

आ पलकों पे सजा लूँ तुझे
फिर सीने से लगा लूँ तुझे
 

यूँ उदास - उदास न रह तू
आ मै फिर से हंसा दूँ तुझे
 

फलक से हो के आया हूँ मै
चाँद -तारों से सजा दूँ तुझे
 

जिस ग़ज़ल में हो तू ही तू
आ ऐसी ग़ज़ल सुना दूँ तुझे 
 
गर तू राज़ी हो जाए मुकेश
सच मै अपना बना लूँ तुझे
 


मुकेश इलाहाबादी -------

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