तुम
सिर्फ रूप होते
बसा लेता मै
आँखों में
गर,
खुशबू भर होते
बसा लेता मै
साँसों में
स्पर्श भर होते
महसूसता
राग - रेशे में
या सिर्फ,
यादें भर होते
जी लेता तुझे
जी भर - हर -पल पल
पर ,
तुम इन सब में हो कर भी
इन सब से परे
और भी बहुत कुछ हो
शायद,
सब कुछ
और कुछ भी नहीं ,,
मुकेश इलाहाबादी -----
सिर्फ रूप होते
बसा लेता मै
आँखों में
गर,
खुशबू भर होते
बसा लेता मै
साँसों में
स्पर्श भर होते
महसूसता
राग - रेशे में
या सिर्फ,
यादें भर होते
जी लेता तुझे
जी भर - हर -पल पल
पर ,
तुम इन सब में हो कर भी
इन सब से परे
और भी बहुत कुछ हो
शायद,
सब कुछ
और कुछ भी नहीं ,,
मुकेश इलाहाबादी -----
No comments:
Post a Comment