Pages

Monday, 25 July 2016

ये ज़िन्दगी ईश्क़गाह में गुज़रे

तू फूल की मानिंद खिल और खुशबू सा महक
या परिंदा बन जाए, मुंडेर पे बुलबुल सा चहक
मेरी चाहत है कि इक दिन तू महताब बन जाये
चाँद बन कर मेरी अंधेरी स्याह रातों में चमक
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------

No comments:

Post a Comment