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Thursday, 4 August 2016

रातों में जुगनू सा चमकता है

रातों में जुगनू सा चमकता है
यादों में चन्दन सा  महकता है

सुर्ख रंग हैं  उसके  आरिज़ के
चेहरा गुलमोहर सा दमकता है

लगा लेती है जब लाल बिंदी
माथा उसका खूब चमकता है

वो झटक दे अपनी ज़ुल्फ़ें तो
बादल भी देरतक बरसता है

जिसके हिज़्र में,मुकेश बाबू
दिल मेरा देर तक सुलगता है

मुकेश इलाहाबादी ---------

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