एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 21 September 2016
तू इक और रात सर्द दे दे
तू इक और रात सर्द दे दे
न सही खुशी तो दर्द दे दे
ले कर जिस्म का हरा पन
मुझे तो अब रंग ज़र्द दे दे
मुकेश, कुछ और नही तो
क़दमो की अपने गर्द दे दे
मुकेश इलाहाबादी -------
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