Pages

Tuesday 31 January 2017

रात मैंने अपने ख्वाबों का

रात
मैंने अपने ख्वाबों का
क़त्ल कर दिया
ये बहुत ज़रूरी था
मुझे अपने वज़ूद को
ज़िंदा रखने के लिए

मुकेश इलाहाबादी --------------

No comments:

Post a Comment