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Wednesday 15 February 2017

यादों की मुंडेर पे



आँख
खुलते ही
यादों की मुंडेर पे
चहचहाने लगती है
तुम्हारे नाम की चिड़िया
और फिर
दिन भर
फुर्र- फुर्र उड़ने के बाद
साँझ होते ही
अपने पंखो पे
चोंच रख के सो जाती है
एक बार फिर चहचहाने के लिए
सुबह होते ही यादों की मुंडेर पे
तुम्हारे नाम की चिड़िया

सुमी, के लिए

मुकेश इलाहाबादी -----

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