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Saturday 15 April 2017

उधर, इक तबस्सुम खिलता है, तेरे चेहरे पे

उधर, इक तबस्सुम खिलता है, तेरे चेहरे पे
 इधर महक जाता हूँ मै बहुत देर तक के लिए
 मुकेश इलाहाबादी ----------------------------
 

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