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Wednesday 14 June 2017

अंधेरी रातों में जागता कौन है


अंधेरी रातों  में जागता कौन है
मेरे  अंदर  जगमगाता कौन है

जब भी चाहा ज़ोर- ज़ोर हंसना
हर बार मुझको रुलाता कौन है

तेरे ख़त तेरे तोहफे बहा आया
फिर तेरी याद दिलाता कौन है

कोइ साज़ नहीं साज़िंदे नहीं
कानो  में  गुनगुनाता कौन है

मुकेश तू ज़माने से ग़मज़दा है
तेरे  होंठो पे मुस्कुराता कौन है

मुकेश इलाहाबादी ------------

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