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Wednesday, 12 July 2017

ख़ुद को और सजा लूँगा

ख़ुद को और सजा लूँगा
दिल के दाग़ छुपा लूँगा

चेहरे पे  मुस्कान  होगी
मुखौटा एक लगा लूँगा

तेरे कोमल कोमल पांव
राह  में फूल बिछा दूंगा

प्यारी प्यारी ग़ज़लों से
अपना तुझे  बना  लूँगा

मुकेश इलाहाबादी ----

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