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Saturday 22 July 2017

शुबो रोशनदान तक आती धू

शुबो रोशनदान तक आती धूप
जाने क्या सोच लौट गयी धूप

इंद्रधनुष का आँचल सतरंगी
देखो कित्ती प्यारी लगती धूप

जाड़े में जब कोहरे में से झांके
सब को अच्छी लगती है धूप

है सुबह मुस्काती दोपहर,चुप
सांझ छत पे गुनगुनाती धूप

जब जब तू सज कर निकले
तेरे चेहरे पे खिलती है धूप

मुकेश इलाहाबादी -------------

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