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Thursday, 17 August 2017

तू अपना बना ले या हमको गैर बता दे


तू अपना बना ले या हमको गैर बता दे
तुम्हारा रहूंगा चाहे हंसा दे चाहे रुला दे

न आज है न रहेगा तुमसे, कोई शिकवा
ये जां तेरी है ज़िंदा रख,कि ज़ह्र पीला दे

किताबे ज़ीस्त पे लिख दिया, तेरा नाम
मै तेरी ग़ज़ल मुझे पढ़ या इसे मिटा दे

ये ज़िंदगी की सर्द रात है,यूँ ही न कटेगी  
मेरी दास्ताँ सुन, या फिर अपनी सुना दे


मुकेश इलाहाबादी -----------------------

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