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Wednesday 2 August 2017

तुम्हारे नाम की चिड़िया

मेरे
अंदर
नीला - नीला आकाश है
अनंत तक फैला हुआ
सपनो की सतरंगी धरती है
मुह्हबत की शाखों से लदा फंदा
इक पेड़ भी है
इक्षाओं की टहनी पे सपनो के फूल खिलते हैं
यह समझो कि
मेरे अंदर इक पूरी दुनिया है
इस दुनिया में तुम्हारे नाम की
एक चिड़िया भी है
जो अल्ल सुबह से चहकने लगती है
नीले नीले आसमान में
फुर्र -फुर्र उड़ती है
साँझ मेरे सपनो की डाली पे
अपने पंखो पे
अपनी चोँच रख के सो जाती है

तुम्हारे नाम की इस चिड़िया को
अपने अंदर उड़ते देख बहुत खुश होता हूँ
मै इस चिड़िया को बहुत प्यार करता हूँ

(सुमी ! ये कोई कविता और कहानी नहीं
सच्ची मुच्ची की बात है )

मुकेश इलाहाबादी ----------------------

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