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Tuesday 29 August 2017

रात चाँद अच्छा नहीं लगता

तेरे जाने के बाद,

रात चाँद अच्छा नहीं लगता
दिन सूरज अच्छा नहीं लता

नींद नहीं अच्छी लगती,मुझे
कोई ख़ाब अच्छा नहीं लगता

महंगाई व मुफिलसी में, घर  
मेहमान अच्छा नहीं लगता

जाड़ा अच्छा नहीं लगता न
सावन अच्छा नहीं लगता

तुम  साथ रहते हो मेरे, तब,,
कोई और अच्छा नहीं लगता

मुकेश इलाहाबादी ---------


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