चाँद
थोड़ा शरारती
थोड़ा संजीदा है
गुस्से में होता है
तो उसका चेहरा लाल होता है
मुस्कराहट में गुलाबी नज़र होता है
शरमाता है तो बादलों का घूंघट ओढ़ लेता है
और फिर थोड़ी देर बाद शरारत से
घूंघट हटा मुस्कुराता है
चाँद थोड़ा नखरीला भी है,
फिलहाल जा रहा हूँ उसे मनाने।
चाँद ! अपनी खिड़की का परदा हटाओ न,
मुझे चांदनी में नहाना है
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
थोड़ा शरारती
थोड़ा संजीदा है
गुस्से में होता है
तो उसका चेहरा लाल होता है
मुस्कराहट में गुलाबी नज़र होता है
शरमाता है तो बादलों का घूंघट ओढ़ लेता है
और फिर थोड़ी देर बाद शरारत से
घूंघट हटा मुस्कुराता है
चाँद थोड़ा नखरीला भी है,
फिलहाल जा रहा हूँ उसे मनाने।
चाँद ! अपनी खिड़की का परदा हटाओ न,
मुझे चांदनी में नहाना है
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
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