Pages

Friday 1 September 2017

लट्टू की तरह घूमता रहता है मन

लट्टू की तरह घूमता रहता है मन
तुम आस- पास रहो चाहता है मन
बस तुझे देखूं तुझे चाहूँ तुझे सराहूं
मुआ जाने क्या - २ चाहता है मन
हैं तुम्हारी आँखे शराब के दो प्याले
बिन पिए ही झूमता रहता है मन
तेरा मेरा जन्मो जन्मो का नाता है
तू मेरी है मै तेरा यही कहता है मन
कई बार चाहा तुझे भूल जाऊं मगर
मुकेश मेरा कहा कँहा मानता है मन
मुकेश इलाहाबादी --------------------

No comments:

Post a Comment