तूने जो घूँघट उठा दिया होता
शहर में उजाला हो गया होता
तू अपने गीले गेसू झटक देती
कोई नदी नाला न सूखा होता
नज़र भर देख लेती जो तुम,,
मुकेश यूँ दीवाना न बना होता
मुकेश इलाहाबादी -------------
शहर में उजाला हो गया होता
तू अपने गीले गेसू झटक देती
कोई नदी नाला न सूखा होता
नज़र भर देख लेती जो तुम,,
मुकेश यूँ दीवाना न बना होता
मुकेश इलाहाबादी -------------
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