Pages

Tuesday 7 November 2017

ज़न्नत से भी ज़्यादा मज़ा तुम्हारा हिज़्र देता है

ज़न्नत से भी ज़्यादा मज़ा तुम्हारा हिज़्र देता है
तुमसे मिल के ज़िंदगी का मज़ा कुछ और होता है

कौन कम्बख्त कहता है महताब सफ़ेद होता है
तुझे देखे तो पता लगे चाँद भी गुलाबी दिखता है

मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------

No comments:

Post a Comment