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Thursday, 30 November 2017

हमारे पास सिर्फ एक ही रास्ता था,

हमारे पास सिर्फ एक ही रास्ता था,
शहर छोड़ना या तुझे भूल जाना था

सफर में तनहा खुश था, पूछा चूँकि
साथ साथ चलोगे तुम्ही ने कहा था

राह के पत्थरों से पेड़ों से पूछ लेना
बहुत देर तक तुम्हारी राह तका था

मुहब्बत की राह में दर दर पे रोड़े हैं
कभी, ईश्क़ की किताब  में  पढ़ा था

दरिया ऐ ग़म बहता है मेरे सीने में
मत पूछ मै कब तक बहता रहा था 

गर कभी याद करोगे तो कहोगे कि
कुछ भी हो, मुकेश इक दीवाना था

मुकेश इलाहाबादी ------------------

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